Saturday, August 20

हमारी माँ:गाय

गावो ममाग्रतो नित्यं  गाव: पृष्ठत एव च|
    गावो मे सव्रतश्चेव गवां मध्ये वसाम्यहम||   
"गाय मेरे आगे,पीछे,सभी ओर हों और मै गाय के मध्य ही निवास करू"(महाभारत)|
"गो नाम सुमिरन ॐ मंत्र के जप के तुल्य है."
"गाय अपनी पीठ पर हमारी अर्थव्यवस्था का सम्पूर्ण हर उठाये हुए है -भारतीय कृषि रायल कमिसन (१९२९) "

दर्द मंदों की मसीहा शोअरा कहते है,
साहबे दिल तुझे तस्वीरे वफ़ा कहते है,
माँ तुझे कहते है हिन्दू तो बजा कहते है,
कोन है जिसने तेरे दूध से मुह मोड़ा है,
आज हर कौम की रग-रग में लहू तेरा है||
-चकबस्त लखनवी
गाय माता की रक्षा की आवश्यकता है . गाय से जो भी मिलता है वह सर्वश्रेष्ठ होता है. आखिर गाय को माता कहने वाला इस बात को जानने कि कोशिश करे तो उसे पाता चल सकता है कि वह कितने उपयोग कि है.
1857 की क्रांति का एक कारण था कि अंग्रेज भारतीयों को गाय के चर्बी से बने कारतूसो का प्रयोग करने को बाधित किया गया था|तब उन हमारे पूजनीय क्रान्तिकारियो   ने इनका उपयोग करने से मना कर दिया और देश के स्वतंत्रता कि क्रांति कि लड़ाई शुरू हुई |
कतल खानों में गाय माता को लाल रंग का महंगा मास  प्राप्त करने के लिए 4 दिन तक भूखा रख कर,गरम खोलता पानी डालकर गायो को काटा जाता है|
robert  clive  नामक व्यक्ति ने देश का सब से पहल कतल खाना खोला | उनकी निति हमरी संस्कृति के ऊपर वार करना था |
अंग्रेजो ने चाय और काफी और मुख्य रूप से शराब को पिने की लत लगे और  गाय माता के दूध को पिने से हमें दूर कर दिया|आजकल लोगो में वो दम नही रहा |
शराब  पिने के बाद  अमुक व्यक्ति को अपनी बीवी और अपनी बेटी में कोई अंतर नही लगता | सरब क्सिसी भी व्यक्ति को देवत्व से दानव बना सकती है | जो शराब पिलेता है उसे  अपनी बहिन और अपनी बीवी में अंतर नही नजर आता | आजकल अख़बार इन्ही बातो से भरे है | हमारी माँ और बहिनों के साथ किये गये गलत कार्य 70 % शराबी और उनके परिचित लोगो द्वारा किये जाते है और ये सारे शराबी गाय का मास खाते है |
हमारी सरकार इसके प्रति ध्यान नही दे रही पर हमें तो अपनी माँ का ध्यान रखना होगा | एक माँ अपने बच्चे को 6 महीनो तक दूध पिलाकर कह्देती है की मेरे दूध के कर्ज चुकाना ...पर गाय माँ हमें जीवन पर्यंत दूध देती है पर हम से बस अपनी safety  चाहती है |  
पर हमारी माँ और गाय माँ दोनों को हमें नही भूलना है एक माँ को हम हमेशा याद रखते है "रुपया मैया"
 
"1760 : Robert Clive established in Calcutta the first abattoir of the country."
"1966 anti-cow slaughter agitation was the agitation by Hindu organisations in 1966 to demand a ban on the slaughter of cows in India, as enshrined in the Directive Principles of State Policy in the Constitution of India. Among others, the Shankaracharya fasted for the cause. The agitation culminated in a massive demonstration outside Sansad Bhavan in New Delhi on 7 November 1966."
"The Prime Minister, Indira Gandhi did not accept the demand for a ban on cow slaughtering. Instead police fired on the rally, killing many Sadhus. The Home minister, Gulzarilal Nanda, resigned, taking responsibility for the administration's failure to maintain law and order."
रोज मल मल के उन साबुनों से और तो और  शम्पू  से नहाते है | और कहते है "कोमल कोमल त्वचा का अह्शाश: जिन बातो पर करलेते है  हम विश्वास "
हमें अपनी स्वदेशी और शुद्ध वस्तुओ का उपयोग करना है | जिस घर में माँ (गाय) नही होती उस घर की बेटियो और बेटो के संस्कार अच्छे नही होते | अंग्रेजो ने इसी निति से आज हमारे देश में करीब 1  करोड़ वेश्या है| क्यों? पति के शराब  पिने के कारण या अपनी गरीबी के कारण | और इन में 18  साल से कम की बहिने ज्यादा है |
कारण ? हमारी संकृति की मूल हमारी माँ गाय माता को मारा जाता है और हमारे घर में उनके न होनेका कारण भी अविस्मरनीय है |
हमें कम से कम रोज उनकी सेवा करनी चाहिए | उन्हें रोटी देनी चाहिए और याद रखना चाहिए की जब भी ये धरती माँ पाप से कुंठित होकर भगवन के पास गई है तब उनका रूप गाय  माँ का ही रहा है| उन भगवन को हम रोज प्रसाद देते है पर कभी बाहर  जाकर एक गाय को या किसी गरीब को नही देते?जिनको गाय से प्रेम नही है उनके लिए भगवन को टाइम नही है और नहीं वे उनसे प्रेम  करते है | ये कटु वचन हो सकते है पर सच है आप अपने भगवन से पूछ सकते हो !

आज नही, माँ ने हमें हमारे जन्म से पुकारा है क्या आपका हृदय धडकता है ?  
 "कहा तो तय था चिरगा,
हर एक घर के लिए;
कहा चिराग मयस्सर नही ,
शहर  के लिए |"