Sunday, October 16

जीव लौट कर क्यों आता है~२



हरे कृष्ण
गोपाल .....   


एक बार श्री गुरु नानक जी महाराज कही जा रहे थे|उनके साथ दो-चार शिष्य भी थे | किसी शहर की धन मंडी से होकर निकले| धन मंडी गेंहू,जौ,बाजार,मोठ,चना आदि अनाज के ढेर पड़े थे |इतने में एक बकरा आया और एक मोठ की ढ़ेरी में से मोठ खाने लगा | वंहा पर उस ढ़ेरी का मालिक बैठा था | उसने बकरे के केश पकड़ लिए और उसके मुख पर डंडे बरसने लगा | काफी मार-पीट के बाद उसने उसके मुख से दाने निकलवा लिए | इस द्रश्य को देख कर श्री नानकजी महाराज हंसने लगे| साथ में चल रहे शिष्य को आश्चर्य हुआ|उन्होंने पूछा की महाराज बकरे के तो मार पड़ रही है और अप हंस रहे हो | संतो की हर क्रिया किसी प्रयोजन को लेकर होती है| अत: आप हमें बताये की आप क्यों हँसे? तब उन्होंने कहा कि-"जो मार रहा है,वह बनिया इस बकरे का बेटा है और यह बकरा इस बनिए का का बाप है | इससे पहले के जन्म में यह दुकान का मालिक था| इस दुकान में इसके बैठने का स्वभाव था |भीतर दुकान और बहार जो यह बरामदा है,इसी में यह बैठा रहता था|इसलिए आजकल भी रात में यह बकरा यंही बैठता है|इसी को याद नहीं |लेकिन इसको यह जगह ही अच्छी लगती है| इसने बड़े बड़े देवताओ कि मनौती कर के इसके पुत्र को पाया था|कमाया हुआ बहुत=सा धन इसी बकरे का है,लेकिन आज थोड़े से दानो में भी इसका हिस्सा नहीं है| खाने के लिए आता है तो मार पड़ती है और मुह से दाने निकाल लिए जाते है| लोग फिर भी संग्रह करते है |" यह जीव जिस किसी भी वास्तु या जगह में आसक्ति,प्रियता या वासना रखेगा,उसे मृत्यु के बाद उसे चाहे कोई भी सरीर मिले,उसी जगह आना पड़ेगा |पशु-पंछी, चिड़िया,चूहे आदि उसी घर में जाते है,जिसमें उन्हें पूर्व जन्म में राग था | इनका कारन है है-हनो का संग,आसक्ति,प्रियता,वासना| जो जड़ चीजो में प्रियता रखेगा,उसको लौटकर आना पड़ेगा |पर जिसकी प्रियता प्रभु में है वो प्रभु को ही प्राप्त होगा | ऐसा मैंने श्रीमद्भागवत गीता जी में पढ़ा है और सही भी है | क्रमश:.....


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