Friday, January 6

भगवान की दया और प्रेम का रहस्य

हरे कृष्ण
गोपाल...

 
जिनका भगवान में तीव्र प्रेम होता है या परम श्रध्दा होती है अथवा जिनकी भगवान से मिलाने की तीव्र इच्छा या लगन  होती है,उन्हें तो भगवान के दर्शन तुरंत ही हो जाते है-यह उचित है और न्याय है | ऐसे भक्तो को दर्शन देने के लिए भगवान भी बाध्य है |  

भगवान ने गीता में कहा की अनन्य भक्ति से मै  दर्शन देने के लिए बाध्य हूँ  | जब भगवान में परम श्रध्दा   हो जाती  है,तब उनमे उच्चकोटि का अनन्य प्रेम, विशुद्ध प्रेम हो जाता है | ऐसा होने पर भगवान से मिलने की तीव्र इच्छा हो जाती है | जब तीव्र इच्छा हो जाती है तो साधक की तत्परता हो जाती है और लगन लग जाती है | तब भगवान उसी समय प्रकट हो जाते है किन्तु मिलने की तीव्र इच्छा या परम प्रेम न होने पर भी भगवान दर्शन देते है | जिनमे भगवान से मिलने की तीव्र इच्छा,भगवान में परम श्रध्दा तथा अनन्य प्रेम अदि बाते हो तो ऐसे पुरुष तो भगवान के दर्शनों के पात्र है ही,किन्तु  पात्र न होने पर भी भगवान किस परिस्थिति में दया करते है | यह जो मान्यता है कि
भगवान हेतु रहित दया और हेतु रहित प्रेम हराने वाले है और सब के सुहृद है-इस मान्यता से अपात्र को भी दर्शन हो जाते है अर्थात उसकी अपात्रता होने पर भी भगवान दर्शन देते है | पात्र पर दया करना तो न्याय है ही पर ऐसी स्थिति में पापियों का उद्धार कैसे हो ? क्रमश:

text 2011, copyright © bhaktiprachar.in