Saturday, October 15

जीव लौट कर क्यों आता है?

हरे कृष्ण 
गोपाल......



संतो की कृपा से ये लेख लिख रहा हूँ !
श्रीमद भगवत गीता में भगवन ने कहा की की यह जीव मेरा ही स्वरुप है मेरा ही अंश अहि-
"ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन: |"
"तह मेरे ही असंह यंहा जीवलोक अर्थात संसार में आकार जीव बना है |"
और कहा है-
"मेरा धाम ऐसा है,जन्हा जाने के बाद वापस लौटकर आना नही पड़ता |" तो फिर जीव को भगवन के धाम में जाना चाहिए|जय,कोई संतान अपने पिता के घर जाती है|इसी प्रकार जीव को भगवन के धाम  में जाना चाहिए|यह जीव पुन: संसार में लौटकर क्यों आता है?
जैसे हम सत्संग में जाते है और  वंहा समय पूरा होने पर सत्संग से आ जाते है| यदि जाते समय भूल से हमारा आसन हम वन्ही भूल गये तो हमें वापस वह  जाना पड़ेगा इसी तरह इस जीव ने संसार की जिन-जिन चीजो में ममता कर ली; तो चाहे वे घर,परिवार,जमीन,रुपये कुछ भी हो,उनके छुटने पर ममता के कारन इसे लौटकर आना पड़ता है| संसार में जिन वस्तुओ को अपना मन है,वह लौटकर आना पड़ेगा|यह सरीर तो सदा रहेगा नही,अत:दूसरा सरीर धारण करके आना पड़ेगा|
क्रमश:.........
आज के करावा चौथ के व्रत पर ठाकुर जी को समर्पित ये चित्र-
karwa chauth special photo






text 2011, copyright © bhaktiprachar.in