Tuesday, October 18

सब जगह तुझको निहारता हूँ...

हरे कृष्ण 
गोपाल 

सब जगह तुझको निहारता हूँ...
खोजता हूँ उसे सब जगह..
लेता हूँ उसका नाम दिल से आँखों से आंसू आ जाते है ........
क्या करूँ मजबूर हूँ..आंसू में भी वो पा जाते है ..
निहारता हूँ तुझे सब जगह,,,,,
१.न मिलना हो तो पहले कह देना ठाकुर, अक्सर बारिश से पहले "तारे" भी छुप जाते है ... निहारता हूँ उसे सब जगह...
२.मुझे इस क़द्र न तडफाया करो... रोज मेरे सपनों में आया करो.... बाते होंगी तुमसे दिल कि..यु न अपने चहरे को छुपाया करो.... निहारता हूँ तुझे सब जगह...
३.मेरे नजरो में तेरा सलोना रूप है... होठो पे बस तेरा नाम है..... ये असम..ये जमीं हिल जाएगी... .तुम न ए तो मेरी जान चली जाएगी..... निहारता हूँ तुझे सब जगह...........
४.अम्बर से फलक मिलाये नही जाते .....
जुदाई के दिन काटे..काटे नही जाते ....
तेरी यद् में आंसू रोके..रोके नही जाते...
(प्यारे सच कहू) आग लगा के बुझाई नही जाती....
तेरी याद भुलाये ..भुलाई नही जाती....
हर श्वास में है तेरी याद...
हर धड़कन में है तेरी याद...
हर धड़कन  में लेता हूँ तेरा नाम....
.प्रेम की राह पे हूँ.......
निहारता हूँ तुझे सब जगह............
text 2011, copyright © bhaktiprachar.in