Monday, October 31

जीव लौट कर क्यों आता है ?

हरे कृष्ण
गोपाल ....


जो भोजन मिला है वो ठाकुर जी का प्रसाद है | अपने दीपावली पर वस्त्र..गहने या मिठाईया ली तो बस ये ही मानो कि ये मेरे ठाकुर को ही मै खिला रहा हूँ ..पहना रहा हूँ....| प्रभु का प्रसाद है ये सब | प्रभु के प्रसद से अन्तः कारन निर्मल हो जाता है | ममता,आसक्ति मिट जाती है | हमारे घर के तो PARLE -G  का बिस्कुट भी नही खाते है पर गोपियों के यंहा माखन चुराने जाते कहने का अर्थ ये है कि सब उन्हें दो | संसार से जब अपना पन मिटेगा तो जीव का आना दुबारा नही होगा |

बस  सब कुछ ठाकुर जी का मान लो | लोग कहते है कि भगवन कि माया ने हमें मोहित कर रखा है | पर असल में माया से मोहित नहीं हुए, हमने माया को ही अपना मान रखा है | वह माया तो सब का कम सुचारू रूप से चले ऐसी सुविधा देती है कृपा करती है |परन्तु हम मिली हुई चीजो पर कब्ज़ा कर लेते है |ये हमारी नहीं  है |
मै भगवन का हूँ | केवल भगवन ही मेरे है | सब चीजे भगवन कि है | मेरा कुछ नहीं है | ये बाते जो ठीक ठीक समझ लेता है उसको मरने के बाद यंहा लौटकर आना नही पड़ता , लेकिन संसार में ममता रखता है और मर जाता है तो उसे लौटना ही पड़ता है |


और सच कहता हूँ कि ये वेबसाइट मेरी नहीं है ये वेबसाइट ठाकुर  जी की है..वे ही इस पर भजन लगाते है.....sms  भेजते है आपको ..भाव लिखते है.. और मै कार्तिक बस एक निमित मात्र हूँ 17  साल का ठाकुर का बालक हूँ जो संतो से सुना या जो पढ़ा और जो मैंने चिंतन किया वो आपको बता देता हूँ..आपको हृदय से प्रणाम करता हूँ |

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