श्री भगवन और उनके भक्तो की महिमा अपार है |इन दोनों में हम लोग भगवन के बजे संत-महात्माओ की महिमा विशेष है,क्योकि वे हमारे सामने होते हुए काम आते है |जैसे समुद्र तो बहुत बड़ा है ;परन्तु हमें जल बदलो से मिलता है,इसी प्रकार हमारे लिए तो बदल ही बड़े है| इसी प्रकार हमें संत-महात्माओ के द्वारा ही लाभ हुआ है और होता है,इसीलिए हमारे संत ही बड़े है|
ऐसे कई महापुरुष हुए है उनकी महिमा जितने गई जाये उतनी ही थोड़ी है,ऐसे महापुरुषों की चरण रज का बड़ा महत्व है| जब उनकी चरण-स्पर्श मात्र से रेनू पवित्र हो जाती है,तब वे स्वयं कितने पवित्र होंगे|
हृदा कदा व यदि व गुनात्मकम|
सो अहम् स्वपदाचित्रेनुभी: सप्रसन
पुनाति लोकत्रियम यथा रवि:||
- भगवन कहते है की मेरा भक्त संसार में घूमता-फिरता है तो अपने चरणों की धुल से त्रिलोकी को उसी प्रकार पवित्र करता है,जिस प्रकार सूर्य जिस प्रान्त में जाते है उसी में प्रकाश कर देते है|पर संत लोगो की अन्दर भी प्रकाश कर देता है लेकिन सूर्य केवल बाहर ही करता है.
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