Thursday, September 8

goswami tulsidas ji's pad

 goswami tulsidas ji dwara likhe hue bhaw(pad)-

 (1) stuti-
गाइये गणपति गजबदन  जगबंदन | संकर-सुवन भवानी-नंदन ||
सिद्धि-सदन,गजबदन,विनायक | कृपासिन्धु सुन्दर सब लायक ||
मोदक-प्रिय,मुद-मंगल-दाता | बिध्या-बारिधि बुद्धि -बिधाता ||
मंगत तुलसीदास कर जोरे | बसहि रामसिय मानस मोरे ||



(2)प्रार्थना-
तू  दयाल,दीन हूँ,तू दानि, हूँ बिखारी |
हूँ  प्रसिद्ध  पातकी,   तू   पापपुन्जहारी||   
नाथ    तू   अनाथ   को,अनाथ  कौन   मोसो |
मो  समान  आरत   नहि,आरतिहर   तोसो ||
ब्रहम  तू, हूँ  जीव,तू  है  ठाकुर, हूँ  चेरो |
तात,मात,गुरु,सखा   तू   सब   बिधि   हितु   मेरो||
तोही  मोहि  नाते  अनेक,मानिये   जो    भावे|
ज्यो त्यों तुलसी कृपालु,चरण-सरन पावे ||


(3)वैराग्य-
जो मोहि राम लागते मीठे|
तौ नवरस,षटरस-रस अनरस है जाते सब सीठे ||
बंचक बिषय बिबिध तनु धरी अनुभवे,सुने अरु डिठे |
यह जानत हो हृदय आपने सपने न अघाइ उबीठे ||
तुलसीदस प्रभु सों एकहि बल बचन कहत अति डिठे |
नामकी लाज राम करुनाकर केहि न दिए कर चीठे ||  

(4)कृष्ण लीला-
हरि को ललित बदन निहारु |
निपटाही  डाँटती निठुर ज्यो लकुट करते डरु ||
मंजू अंजन सहित जल-कन चुक्त लोचन-चारू|
श्याम सरस मग मनो ससी स्त्रवत सुधा-सिंगारू||
सुभग उर, दधी बूंद सुन्दर लखी अपनपौ वारू|
मनहु मरकत मृदु सिखरपर लसत  बिषाद तुषारु||
कान्ह्हू  पर स्तर भोंहे,महरी मनाही बिचारु |
दास तुलसी रहित क्यों रिस निरखि नन्द कुमारु ||





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