Friday, September 16

संत चरण रज~4



जब संत  चरण रज का इन महात्म्य है तो वे जिस चीज से इतने महान हुए है तो वह चीज कितनी महत्वपूर्ण होनी चाहिए | वह चीज हम सब को मिल सकती है | संत महात्माओ की लालसा रहती है उस चीज को सब को बाँट देने की | असल में हमें उस चीज पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए |
साधारण मनुष्य के भीतर अपने कल्याण की उतनी चिंता नही  होती  जितनी उन महापुरुषों के भीतर उन मनुष्य के लिए होती है|संत चाहते है कि जल्दी से जल्दी और सुगुमता से इनका कल्याण हो जाये | भगवान की कृपा रहते हुए भी पर बिना उत्कंठा और बिना लालसा के भगवान की प्राप्ति नही हो सकती क्योकि  भगवान की कृपा तो हम सब पर हमेशा बनी रहती है |


                                                                                  आज नास्तिकता फैल रही है | लोग इश्वर को,संतो को और शास्त्रों को नही मानते है,इसका कारन यही
है कि लोग असली तत्व की तरफ तो ध्यान नही देते और नकली बातो का आचरण करते है-जैसे संतो की जूठन खली, चरण धूलि ले ली इत्यादि | इन बातो से लाभ नही होता तो कहते है कि " भाई! संतो कि चरण राज और जूठन कि महिमा झुठी है क्योंकि हमने इनका सेवन किया किन्तु हमें कोई लाभ नही हुआ "| जिनको असली संत नही मिलते उन्हें प्रभु को अपना गुरु, शास्त्र को अपना गुरु मानना चाहिए |
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मुख्य सार "संत-चरण-रज " का -
इसका तात्पर्य तो उस तत्त्व में है, जो उन्होंने प्राप्त का लिया है |  उस तत्व को हमें लेना चाहिए |
  संत नित्य प्रभु का भजन और जीव मात्र से प्रेम करते है और अपने कर्म को निभाते हुए जीवन यापन करते है |
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