Sunday, September 18

In his memory

मैंने  ठाकुर जी की कृपा से अपनी टूटी फूटी भाषा में कुछ लिखने का प्रयास किया है ये भाव मै ठाकुर जी को और मेरे गुरु  को समर्पित करता हूँ | 

 1.
जिंदगी में हमें जिंदगी भर गम मिले,
जब जन्मे तब रोते हुए गम मिले,
जवानी में "जवानी" के गम मिले,
बुढ़ापे में बीमारी के गम मिले,
(अब तुम न आये तो प्यारे)
तेरी जुदाई  के गम कम न मिले
(प्यारे!अब तेरी जुदाई के गम कभी न  मिले)

2.
मंजिल तक पहुचना है , खाई को पर करना होगा,
गुलाब को लेना है,काँटों को झेलना होगा,
सुख को पाना है,कर्म करना होगा,
"अर्थ" को पाना है , कड़ा परिश्रम करना होगा,
प्रभु को पाना है,उनकी कथा को गाना होगा,
बाँके बिहारी को पाना है.....राधा रानी का नाम गाना होगा ..........
श्री राधे  श्री राधे  श्री राधे श्री राधे श्री राधे श्री राधे श्री राधे श्री राधे श्री राधे 

3.
तुझे निहारता हूँ सब जगह, तुझे पुकारता हूँ सब जगह, आंखे बिछाये रखता हूँ कब आओगे, चरणों में आंखे लगाये रखता हूँ कैसे दूर जाओगे, दिल में बसे हो तुम,तुम में बसे है हम, कैसे अपने चरणों से दूर कर पाओगे, जो दर पे आया तेरे एक बार(तो) दूर मत करना, फिर कैसे मेरी आँखों को पाओगे .


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