Sunday, September 18

rajiv dixit ji


राजीव भाई का परिचय

राजीव भाई की शहादत

स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता, चिंतक, जुझारू, निर्भीक व सत्य को दृढ़ता से रखने के लिए पहचाने जाने वाले भाई राजीव दीक्षित जी 30 नवम्बर 2010 को भिलाई (छत्तीसगढ़) में शहीद हो गए | वे भारत स्वाभिमान और आज के स्वदेशी आंदोलन के पहले शहीद है| राजीव भाई भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे | यह परमात्मा का अजीब संयोग ही कहा जायेगा कि श्री राजीव जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को रात्रि 12:20 पर हुआ था और उनका देहावसान भी 30 नवम्बर 2010 को रात्रि 12 बजे के बाद ही हुआ। 1 दिसम्बर 2010 को अंतिम दर्शन के लिए उनको पतंजलि योगपीठ में रखा गया था| राजीव भाई के अनुज प्रदीप दीक्षित और परम पूज्य स्वामी रामदेव जी ने उन्हे मुखाग्नि दी| परमपूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व आचार्य बालकृष्ण जी ने राजीव भाई के निधन पर गहरा दुःख वयक्त किया है| सम्पूर्ण देश में 1 दिसम्बर को दोपहर 3 बजे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया|

राजीव भाई का जीवन परिचय

स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता एवं भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय सचिव भाई राजीव दीक्षित जी का जन्म उप्र अलीगढ़ जनपद के अनरौली तहलीस के नाह गांव में तीस नवम्बर 1967 में हुआ । राजीव जी की इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई । राधेश्याम दीक्षित के घर में जन्मे श्री राजीव जी का अधिकांश समय वर्धा में व्यतीत हुआ। राजीव भाई के जीवन में सरलता और नम्रता थी। वे संयमी, सदाचारी ब्रह्मचारी तथा बलिदानी थे। वे निरन्तर साधना की जिन्दगी जीते थे। 1999 में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने देश में धूम मचा दी थी। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जाग्रति पैदा कर रहे थे.

राजीव भाई के बारे में

राजीव भाई पिछले 20 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे| वे भारत को पुर्नगुलामी से बचाना चाहते थे| वे उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में जन्मे थे| उनकी प्रारम्भिक व माध्यमिक शिक्षा फ़िरोज़ाबाद में हुई उसके बाद 1994 में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहबाद गए| वे सेटेलाइट टेलेकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ कर देश को विदेशी कंपनियों की लूट से मुक्त कराने और भारत को स्वदेशी बनाने के आंदोलन में कूद पड़े| शुरू में भगतसिंह, उधमसिंह और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे| बाद में जब गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए|
bharat swabhiman nyas
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