मैंने ठाकुर जी की कृपा से अपनी टूटी फूटी भाषा में कुछ लिखने का प्रयास किया है ये भाव मै ठाकुर जी को समर्पित करता हूँ |
1.
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2011, copyright © bhaktiprachar.in
1.
हवा को चलाता है वो,
हर चेहरे पर ख़ुशी लता है वो ,
भक्तो के आंसू पुछता है वो,
.तिरछी चितवन से सब के मन को भाता है वो,
हर आंख का सितारा है वो,
जग का उजियारा है वो,
जो भी जाता है दर पर एक बार,झोली भर कर लाता है वो,
कृपा को बारिश में डूब जाता है वो |
2.
उनकी नजरो ने हम को घायल कर दिया,
उनकी चाल ने हम को दीवाना कर दिया,
जब भी सुनता हूँ उनका नाम किसी की जुबा से....
उनकी याद ने हमारी आँखों को नम कर दिया
3.
तेरे दर्श को नैन तरसे,श्रावण के बदरिया बरसे,
बूंद-बूंद में तुझ को निहारु , तेरी या में पल-पल गुजारु,
युग-युग हुए तुम नही आये,अब ये मन चैन नही पाए ,
तेरे दर्श की प्यारी, मै तिहारी बिहारी,
फुरसत से हम से मिल लो, तेरे दर्श को नैन तरसे...
तेरे दर्श को नैन बरसे ...........