Friday, December 23

ह्रदय द्रवीभूत~1

हरे कृष्ण
गोपाल.....
   

किसी का किसी के प्रति जब ह्रदय  पिघल जाता है तो उस समय उसकी वैसी ही दशा हो जाती है,जैसी चपड़े  या लाख के पिघल जाने पर हो जाती है |पिघले हुए चपड़े में जैसे रंग डाल दिया जाय,वह वैसे ही रंगवाला बन जाता है |यदि वह चपड़ा बिना पिघला हुआ हो तो उस पर चाहे कुछ भी डाल दिया जाय उसका कोई खास असर नहीं पड़ता | इसी तरह किसी का ह्रदय जब पिघल जाता है तब बहुत ही अच्छा रंग चढता  है |
हमें हरि का यानि भगवान का रंग चढ़ाना है |भगवान की कृपा से यदि आदमी का ह्रदय व्याकुल हो जाय तो उसका जीवन बहुत ही बदल जाय |यह लेख लिखते समय पूज्य राधा कृष्ण जी महाराज का के भजन सुन रहा हूँ | उसमे बताया की जब भक्त भगवद आवेश में होता है तो उसकी नजर जिस तरफ भी जाती है वह दिशा पवित्र हो जाती है,वह सम्पूर्ण भू मंडल को पवित्र कर देता है |प्रश्न यह है की ह्रदय इस प्रकार कैसे पिघले?
इसका उपाय यह है की जिन पुरुषो का ह्रदय भगवान के विरह की वय्कुलाता में पिघला है,उनके चिरित्र को करुनाभाव या प्रेम भाव से यद् करे| ऐसा करने ह्रदय एक दम पिघल जाता है और करुनाभाव से उनका चरित्र देखने से विरह की व्याकुलता मर भी ह्रदय पिघल जाता है | जैसे श्री रामचंद्र जी और भारत जी के चरित्र है,विशेषकर उनके मिलाप-प्रसंग का दृश्य सामने आते ही अपने -अप अश्रुपात होने लगता है|माता-पिता के भक्त श्रवणकुमार का प्रसंग आने से ह्रदय एकदम पिघल  जाता है| भगवान श्री रामचन्द्रजी के वनगमन का प्रकरण या रुक्मिणी जी का भगवान की विरह में विलाप-प्रकरण और गोपिओ का भगवान के विरह की व्यकुअलाता में रोने का प्रसंग उपस्थितहोने पर ह्रदय पिघल जाता है |प्रभु के कथा और इसप्रकार के प्रसंग और संवेदन शील प्रसंग हमारे ह्रदय को द्रवीभूत कर देते है | ऐसे प्रसंग अपने सद्गुरु से संतो  से बार बार सुनने चाहिए | जिस समय मन या ह्रदय एकदम पिघल jata है,उस समय ह्रदय में धारण किये गए भाव स्थायी रूप से सुस्थिर हो जाते है | इसलिए भगवन के प्रति प्रेम और श्रध्दा अपने ह्रदय में स्थापित करके रोम रोम में परिपूर्ण करके अपना जीवन बदल जय इसके लिए हमें करुनाभाव से समय समय पर भगवन के लिए रोना चाहिए,व्याकुल होना चाहिए,इसके लिए लगन से हमें रहना होगा क्योकि हमें उस को पाना है |क्रमश: