हरे कृष्ण
गोपाल....
एक बीमार एक वैध्य के पास गया | उसने बताया की कुपथ्य का त्याग,पथ्य और औषधि का सेवन | यह बात सुनी| दुसरे वैध्य के पास गया | निदान कराया,दुसरे ने कहा कुपथ्य का त्याग और पथ्य का सेवन करना होगा और औषधि की आवश्यकता नही |वह तीसरे वैध्य के पास गया उसने केवल कहा की औषधि का सेवन करना होगा |उसने सोचा की यह ठीक है केवल औषधि से कम चल जायेगा और बाद में वह ठीक भी हो गया |
महात्मा वैध्य है, हम सब बीमार है,जन्मना,मरना रोग है | योगी,ज्ञानी,भक्त-तीन वैध्य है | एक ने कहा औषध और पथ्य का सेवन और कुपथ्य का त्याग | वह योगी था उसने यह बात बताई की पथ्य से रहना होगा,योग का साधन करना होगा,दुर्गुण,दुराचारो का त्याग करना होगा| पथ्य-यम,नियम,अशन,प्राणायाम,प्रत्याहार, धरना,ध्यान,समाधी- इन आठ का सेवन करना होगा | कुपथ्य का त्याग करना होगा | उसने सोचा की यह मेरे कम का नहीं है क्योकि कठिन है | सुनकर चला गया | दुसरे के पास गया वह ज्ञानी था,उसने कहा की कुपथ्य का त्याग और पथ्य का सेवन | संसार नाशवान है,स्वप्नवत है,वास्तव में नहीं है,कुपथ्य है,बस इस कुपथ्य का त्याग करो | सत्य पथ्य है| सच्चिदानंद का भाव-बस यही करना होगा| उसने सोचा कठिन है | तीसरा भक्त था,उसने कहा कि औषधि का सेवन करना होगा | औषधि एक है ,उसके सेवन से जो कुपथ्य हुआ है,वह सब नष्ट हो जायेगा | इसमें इअतना गुण है कि दुर्गुण,दुराचार,दुःख पाप सब का नाश हो जायेगा | यह कम ठीक है | यह भगवान का भजन है | भगवान कहते है -
अपि चेत्सुदुराचारो भजते माम्नान्यभाक |
साधुरेव स मंतव्य : सम्यग्व्यवसितो हि स: ||
कोई अतिशय पापाचारी,व्यभिचारी,दुराचारी है,मुझे अनन्य भाव से भजता है,मेरे नाम और रूप का स्मरण करता है,मेरी शरण आ जाता है | उसको साधू हि मानना चाहिए | भजन के परताप से वह शीध्र हि धरमात्मा बन जाता है | विलम्ब नहीं होगा | मै सत्य कहता हूँ मेरे भक्त का नाश नहीं होता है | सब से बढ़कर भगवान कि भक्ति है,भजन है|यह औषध है |.
बस एक बात हमेशा याद रहे कि उन परमात्मा को, करुणालय को हम कभी भी भूले नहीं |
posted by-Neha Sharma.(join on facebook,click on the name)
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