हरे कृष्ण
गोपाल...
नाम जप में भाव की प्रधानता है| भाव की कमी के कारन नाम-जप करते हुए भी विशेष लाभ नही होता|भाव के विषय में बहुत सी बाते है |पहली बात यह है कि भगवान में अपनापन हो| अपनापन राकहने से भगवान पर उसका विशेष असर पड़ता है | एक बालक अपने में को पुकारता है तो उसकी माँ उसके पास जाती है न की किसी और की |जिसको वह माँ कहता है वो अति है उसके पास | तात्पर्य यह है कि माँ का होकर माँ को पुकारा जाय तो माँ पर असर पड़ता है |
नाम-जप कि खास विधि है-भगवान का होकर भगवान का नाम ले| केवल भगवान ही हमारे है और हम भगवान के ही है, संसार हमारा नही है और हम संसार के नही है |-अगर यह पक्का होगया तो तत्काल प्रभाव पड़ता है|
गोस्वामी जी ने दोहावली में कहा है-
बिगरी जनम अनेक कि सुधरे अबही आजू |
होही राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाजू||
अनके जन्मो कि बिगड़ी हुई बात अज सुधर जाय और अज भी अभी-अभी,इसी समय सुधर जाय | कैसे सुधरे? तू राम जी का होकर रामजी को पुकार|परन्तु हमारे से यही भूल होती है हम संसार के होकर भगवान को पुकारते है| पर कोई बात नही..कम से कम जब नाम का जप करो तब आप भगवान के होकर भगवान का नाम सुमिरन करो | मै कुछ दिन पहले भागवत जी का चिंतन कर रहा था तब वहा शुक देव जी ने जो मुख्य बात कही है वो है सुमिरन की| हमें संसार के धंधो के कारण वक्त नही मिलता,हम तो संसारी है,कलयुगी जीव है-इस प्रकार हम यदि मानेंगे तो हम पर संसार और कलयुग का ज्यादा असर पड़ेगा|क्योकि हमने उनके साथ सम्बन्ध जोड़ दिया |बिजली के तार से हाथ लगे तो करंट आजाता है ऐसे ही संसार से जुड़ने पर उनका असर हम पर पड़ता है |
वास्तव में भगवान ही हमारे है | जब हमने संसार में जन्म लिया तब भी वे हमारे थे,अब भी हमारे है और हमारे न रहने पर भी वे हमारे रहेंगे|पर संसार हमर न था,न है और न ही रहेगा|
भगवान के होकर न-जप करो-"होहि राम को नाम जपु|"
संतो ने कहा है-"हरिया बंदिवान ज्यू करिए कुक पुकार|" कोई चारो तरफ से घिरा हो और वहा से बहार निकलना चाहता हो तो वह जैसे पुकारता है-कोई छुडाओ ! ऐसे ही भीतर से पुकार निकले-हे नाथ! मै काम,क्रोध,लोभ,ममता,आसक्ति में फंश गया हूँ,हे नाथ ! मुझे इनसे बचाओ! इस तरह आर्ट भाव से भगवान को पुकारो |
text 2011, copyright © bhaktiprachar.in
गोपाल...
नाम जप में भाव की प्रधानता है| भाव की कमी के कारन नाम-जप करते हुए भी विशेष लाभ नही होता|भाव के विषय में बहुत सी बाते है |पहली बात यह है कि भगवान में अपनापन हो| अपनापन राकहने से भगवान पर उसका विशेष असर पड़ता है | एक बालक अपने में को पुकारता है तो उसकी माँ उसके पास जाती है न की किसी और की |जिसको वह माँ कहता है वो अति है उसके पास | तात्पर्य यह है कि माँ का होकर माँ को पुकारा जाय तो माँ पर असर पड़ता है |
नाम-जप कि खास विधि है-भगवान का होकर भगवान का नाम ले| केवल भगवान ही हमारे है और हम भगवान के ही है, संसार हमारा नही है और हम संसार के नही है |-अगर यह पक्का होगया तो तत्काल प्रभाव पड़ता है|
गोस्वामी जी ने दोहावली में कहा है-
बिगरी जनम अनेक कि सुधरे अबही आजू |
होही राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाजू||
अनके जन्मो कि बिगड़ी हुई बात अज सुधर जाय और अज भी अभी-अभी,इसी समय सुधर जाय | कैसे सुधरे? तू राम जी का होकर रामजी को पुकार|परन्तु हमारे से यही भूल होती है हम संसार के होकर भगवान को पुकारते है| पर कोई बात नही..कम से कम जब नाम का जप करो तब आप भगवान के होकर भगवान का नाम सुमिरन करो | मै कुछ दिन पहले भागवत जी का चिंतन कर रहा था तब वहा शुक देव जी ने जो मुख्य बात कही है वो है सुमिरन की| हमें संसार के धंधो के कारण वक्त नही मिलता,हम तो संसारी है,कलयुगी जीव है-इस प्रकार हम यदि मानेंगे तो हम पर संसार और कलयुग का ज्यादा असर पड़ेगा|क्योकि हमने उनके साथ सम्बन्ध जोड़ दिया |बिजली के तार से हाथ लगे तो करंट आजाता है ऐसे ही संसार से जुड़ने पर उनका असर हम पर पड़ता है |
वास्तव में भगवान ही हमारे है | जब हमने संसार में जन्म लिया तब भी वे हमारे थे,अब भी हमारे है और हमारे न रहने पर भी वे हमारे रहेंगे|पर संसार हमर न था,न है और न ही रहेगा|
भगवान के होकर न-जप करो-"होहि राम को नाम जपु|"
संतो ने कहा है-"हरिया बंदिवान ज्यू करिए कुक पुकार|" कोई चारो तरफ से घिरा हो और वहा से बहार निकलना चाहता हो तो वह जैसे पुकारता है-कोई छुडाओ ! ऐसे ही भीतर से पुकार निकले-हे नाथ! मै काम,क्रोध,लोभ,ममता,आसक्ति में फंश गया हूँ,हे नाथ ! मुझे इनसे बचाओ! इस तरह आर्ट भाव से भगवान को पुकारो |
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