Wednesday, September 28

navratra

 आप सब को मेरा सादर हरे कृष्ण...गोपाल.... आप सब को नवरात्र की शुभकामनाये |
 
 मै यंहा कुछ बाते  ममता जी के आग्रह पर लिख रहा हूँ | वे ngo  चलाती है |  छोटे छोटे बच्चो  का पालन करती है अपने ngo से  |
और इस लेख को पढ़ने वाली मेरी सारी बहिनों और माताओ को प्रणाम करता हूँ जो माँ दुर्गा स्वरुप है और अपने भाई को भी जो शिव रूप है |
कुंवारी कन्याओ के नाम के आगे "कुमारी" और विवाहित महिलाओ के नाम के आगे "देवी" सब्द जोड़कर हमरी वैदिक संस्कृति ने स्पष्ट किया था की प्रत्येक नारी देदीप्यमान ज्योतिर्मय सता है |तभी तो अष्टमी और नवमी को घर घर में देवी की पूजा सिर्फ कन्या के रूप में होती है | वह देवी ही हमें "माँ"  के रूप में जन्म देती है | पत्नी के रूप में सुख और पुत्री बनकर आनंद का प्रसाद बंटती है |देवी स्वयं कहती है कि प्रथ्वी पर सारी स्त्रियों में जो मेरा सोभाग्य,सोंदर्य है,वो  पूरी तरह से मेरा ही है |
पर वही सरस्वती जब हमारे घर में कन्या रूप से अवतार लेने आती है तो अवतार से पहले ही उसे मार डालते है | क्या यही दुर्गा पूजा है और हमारी श्रद्धा का सत्य ?
" कल जब हम छोटे थे और कोई हमारी बात समझ नही पता था,
तब सिर्फ एक हस्ती थी जो हमारे टूटे फूटे अल्फाज़ भी समझ जाती थी,
और आज हम उसी हसती को ये कहते है की-
(आप नही जानती)
(आप की बात मुझे समझ नही आती )
(हो गयी न अब आप को ख़ुशी )
इसमहान हस्ती का आप सब सम्मान करे -
"it's tribute to our lovely mother"
सख्त रास्तो में भी आसन सफ़र लगता है,
ये मुझे माँ की दुआ का असर लगता है,
एक मुद्दत से मेरी माँ नही सोई जब,
मैंने कहा माँ मुझे डर लगता है "

मेरे कुछ मित्र है जिनके माँ नही है और वो मेरे सहपाठी भी रहे है पर क्या करे? वो बिहारी जू को अपनी माँ मानते है, अपना दोस्त मानते है | पर अपनी माँ को भी याद करते है | और आपको बता दू वे इस वेबसाइट के प्रमुख सहयोगी है | और भक्ति प्रचार संगठन जोधपुर में उन्ही के द्वारा संचालित है |
माँ का एक विशेष रूप है "ब्रहमचारिणी" | आज के सभी आयु वर्ग के खास युवा वर्ग को मै कहना चाहता हूँ | आज हमारे अन्दर वो ओज और तेज नही रहा जो पहले के लोगो में रहता था|  इसलिए मेरा निवेदन है की आज के इस पावन पर्व पर आप भी माँ के इस रूप को अपने अन्दर धारण करेंगे |

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