मैंने ठाकुर जी की कृपा से अपनी टूटी फूटी भाषा में कुछ लिखने का प्रयास किया है ये भाव मै ठाकुर जी को और मेरे गुरु को समर्पित करता हूँ |
1.
2.
text 2011, copyright © bhaktiprachar.in
1.
तुझे निहारता हूँ सब जगह, तुझे पुकारता हूँ सब जगह, आंखे बिछाये रखता हूँ
कब आओगे, चरणों में आंखे लगाये रखता हूँ कैसे दूर जाओगे, दिल में बसे हो
तुम,तुम में बसे है हम, कैसे अपने चरणों से दूर कर पाओगे, जो दर पे आया
तेरे एक बार(तो) दूर मत करना, फिर कैसे मेरी आँखों को पाओगे .
2.
हवाओ को चलाता है वो....मुझे अपना अह्शाश करवाता है वो ,,,,यु तो कहने को बहुत लबस है..
पर मेरे लब्स को हवा से ले जाता है वो
पर मेरे लब्स को हवा से ले जाता है वो
"उसकी ये मंद मंद मुस्कान होश उड़ा जाती है...मानो चित को
चुरा जाती है...पता नही कैसा जादू है उसकी मंद मंद मुस्कनिया
में ....कि सबको अपना बना जाती है..." मोटी मोटी कजरारी ये चमकीली आंखें तुम्हारी....सबके मन को लुभा
जाती है ये प्यारी प्यारी मुस्कान तुम्हारी...घायल कर जाती है
ये काली छटा तुम्हारी...मधुर मधुर बंसी की ये तान ...मै तो हो
गयी हो गयी हो गयी तेरी श्याम....!!!!!
(these lines rae added by my sister,which are in inverted commas )
(these lines rae added by my sister,which are in inverted commas )
मंद मंद हवाओ में मंद मंद मुस्कुराता है वो ....मंद मंद हवा जैसे अपनी तिरछी चितवन से चलता है वो ...
3.
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part-2 |
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