Sunday, September 18

my own but favorite

 मैंने  ठाकुर जी की कृपा से अपनी टूटी फूटी भाषा में कुछ लिखने का प्रयास किया है ये भाव मै ठाकुर जी को और मेरे गुरु  को समर्पित करता हूँ | 

1.
तुझे निहारता हूँ सब जगह, तुझे पुकारता हूँ सब जगह, आंखे बिछाये रखता हूँ कब आओगे, चरणों में आंखे लगाये रखता हूँ कैसे दूर जाओगे, दिल में बसे हो तुम,तुम में बसे है हम, कैसे अपने चरणों से दूर कर पाओगे, जो दर पे आया तेरे एक बार(तो) दूर मत करना, फिर कैसे मेरी आँखों को पाओगे .

2.
हवाओ  को  चलाता है  वो....मुझे  अपना  अह्शाश  करवाता  है  वो ,,,,यु  तो  कहने  को  बहुत  लबस है..
पर  मेरे  लब्स  को  हवा  से  ले  जाता  है  वो
"उसकी  ये  मंद  मंद  मुस्कान  होश  उड़ा  जाती  है...मानो    चित  को  चुरा  जाती  है...पता  नही  कैसा  जादू  है  उसकी  मंद  मंद  मुस्कनिया  में  ....कि सबको  अपना  बना  जाती  है..." मोटी  मोटी   कजरारी   ये  चमकीली  आंखें  तुम्हारी....सबके  मन  को  लुभा  जाती  है  ये  प्यारी  प्यारी  मुस्कान  तुम्हारी...घायल  कर  जाती  है  ये  काली  छटा  तुम्हारी...मधुर  मधुर  बंसी  की  ये  तान ...मै  तो  हो  गयी हो  गयी  हो  गयी  तेरी  श्याम....!!!!!
(these lines rae added by my sister,which are in inverted commas ) 
मंद  मंद  हवाओ  में  मंद  मंद  मुस्कुराता  है  वो ....मंद  मंद  हवा  जैसे  अपनी  तिरछी  चितवन  से  चलता  है  वो ... 

3.
part-1


part-2



text 2011, copyright © bhaktiprachar.in