हरे कृष्ण
गोपाल....
किसी को वश में करना हो तो उनकी सेवा करनी होती है,गुण गाना होता है,आज्ञा का पालन करना होता है |सेवा से संत वश में हो जाते है,ब्रह्मा,विष्णु ,महेश सब प्रसन्न हो जाते है |किसी को वश में करना हो तो यह विद्या है |फिर भगवन को ही वश में क्यों न करे,जिससे सब वश में हो जाय | भगवान कहते है जो मेरी भक्ति करता है वह यदि मुझे बेचे तो मै बिकने के लिए तैयार हूँ-
बेचे तो बिक जाऊ नरसी म्हारो सिर धणी |
संसार के सब पदार्थ धन से मिलते है पर भगवन धन से नहीं मिलते |स्वयं अपने -आप को भगवन अर्पण कर दे तो भगवान तो भगवान का यह नियम है की वे भक्त के वश में हो जाते है | भगवान को यदि खरीदना चाहते हो तो सब से बढकर यह विद्या है-सत्य बोलना,दुसरे स्त्री को माता के सामान मानना और भगवान के अधीन रहना |
सत्य वचन आधीनता परतिय मात समान |
इतनेमे हरी न मिले तुलसीदास जमान ||
एक ही बात ऐसी है जिसके धारण करने से सब अपने-आप आजाती है | राजा को बुलाने से सारी सेना आ जाती है | उसी तरह भगवान की भक्ति से सारे गुण और दैवी सम्पदा आ जाती है | और कुछ बने या न बने बस भगवान को हमेशा याद रखो |उद्दालक ऋषि के पुरता का नाम स्वेत्केतु था | वेद-वेदांत आदि पढकर आने के बाद उसने कहा की मै विद्वान् हूँ | अंहकार आ गया और पिता को मुर्ख समझ कर नमस्कार नहीं किया | पिता ने कहा की बेटा!वह विद्या की सीखी की नहीं जिस बात को जानने से सारी बात का ज्ञान हो जाये |लडके ने कहा यह तो नहीं पढ़ी |पिता बोले-एक परमात्मा का ज्ञान होने से सब का ज्ञान हो जायेगा |उन्होंने पहले ही सोच लिया कि वह ज्ञान होता तो अंहकार नहीं होता |
परमात्मा के ज्ञान से सरे ब्रह्माण्ड का ज्ञान हो जाता है|अपने तो यह समझ लो की जो समय गया सो गया,अब बाकि समय हरि में लगा दो |अब तो यही नीची कर लो की जो कुछ अच्छा या बुरा बीत गया सो बीत गया,अब बाकि समय चलते,उठाते,बैठते खाते बस हरि नाम का सुमिरन करो| अपने अप को भगवान में लगा दो|
मै आशिक तेरे रूप पर बिन मिले सबर नहीं होती |
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